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यस आई एम—11 [ए न्यू मर्डर केस]

★★★

तृष्णा ‘स्टोरी वर्ल्ड’ ऐप खोल कर बैठ गई। ऐप खोलते ही उसकी नजर सीधा इच्छा की प्रोफाइल पर पड़ी। ना चाहते हुए भी बिना किसी कारण वह खुद को मैसेज करने से न रोक सकी। 

"आप भूतिया कहानी लिखने के अलावा भूत भी पकड़ती है क्या मिस इच्छा?" लिख कर तृष्णा ने मैसेज भेज दिया और फिर प्रोफाइल स्क्रॉल करने लगी। कुछ देर स्क्रॉल करने के बाद लैपटॉप बंद करके बैठ गई। "क्या सोच कर मैसेज किया तूने? पचास हजार फैन फॉलोइंग के बाद वो कौन सा तेरा मैसेज देखेगी?" तृष्णा ने खुद से बड़बड़ाते हुए पूछा। उसने किताब उठाई और फिर नीचे चली गई।

वह सीधा काउंटर पर चली गई। श्रेयाँशी अपने काम में पूरी तरह से खोई हुई थी। तृष्णा आवाज लगाते हुए बोली। “दी।”

श्रेयाँशी को उसकी आवाज सुनाई नही दी।वह सीधा उसी के पास चली गई। “दी।” वहां जाते ही उसने दोबारा फिर से आवाज लगाई।

“क्या हुआ?” श्रेयाँशी ने पूछा।

“कहां खोई हुई हो आप?” तृष्णा ने श्रेयाँशी को ध्यान से देखते हुए पूछा।

“कही भी नही। बस काम कर रही थी।” श्रेयाँशी ने जवाब दिया और फिर आगे बोली। “आपको क्या काम है?”

“कुछ भी नही।” तृष्णा ने जवाब दिया और फिर कुछ सोचते हुए आगे बोली। “मैने किताब लिख ली। आप पढ़ कर बताओगी क्या कमी है?” उसने दूसरी दूसरी बात बड़े धीमे स्वर में पूछी थी।

“जरुर। आप मुझे फाइल सेंड कर देना। मै पढ़ने के साथ साथ एडिट भी कर दूंगी। वैसे भी मैने बहुत सारी कहानियों की किताब पढ़ी हुई है।” श्रेयाँशी ने बड़े प्यार से जवाब दिया।

“ईमेल पर पहले ही भेज दी।” तृष्णा ने जवाब दिया।

“ठीक है। मै अभी पढ़ती हूं।” श्रेयाँशी ने जवाब दिया और फिर अपना फोन देखने लगी।

तृष्णा वहां से सीधा लाइब्रेरी में चली गई। शनिवार के दिन उसकी यूनिवर्सिटी की छुट्टी रहती थी। इसी वजह से आज लाइब्रेरी में काफी भीड़ थी। उसने इधर उधर देखा और एक खाली जगह देखकर वहां जाकर बैठ गई और किताब पढ़ने लगी।

 ‘ब्लड ए मर्डर मिस्ट्री!’ वह किताब पढ़ते हुए उसमें पूरी तरह से खोई हुई थी। वह उसका एक पैराग्राफ पढ़ते हुए बोली। "बेचारी आकांक्षा! इतनी अच्छी डॉक्टर होने के बाद इसे कोई क्यों फंसा रहा है और कौन है वो जो लाशों की चोरी कर रहा है? और इस कब्रिस्तान का रहस्य क्या है? सही कहता है मेरा ग्रुप कहानी पढ़ने में बहुत मजा आता है।" तभी उसके फोन पर नोटिफिकेशन की आवाज आई। तृष्णा ने अपने आस पास देखा तो पाया कि वहां पर मौजुद सभी लोग उसे ही घूर रहे थे। खुद को घूरता हुआ पाकर वह झेंप गई और फिर किसी मासूम बच्चे की तरह बैठ गई।

पहले उसने फोन को साइलेंट मोड पर डाला और फिर नोटिफिकेशन देखने लगी। इच्छा के नाम की नोटिफिकेशन ऊपर ही दिख रही थी। ना जाने क्यों पर इच्छा का नाम देखकर उसे बड़ी खुशी हुई। पचास हजार फैन फॉलोइंग वाली लेखिका ने जवाब दिया इसलिए नही बल्कि कारण उसकी भी समझ में नहीं आया। उसने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और फिर मैसेज खोल कर पढ़ने लगी।

“पकड़ती भी हूं और अपने साथ रखती भी हूं। आप कहो तो आपकी मुलाकात भी किसी भूत से करवा दूंगी।” इच्छा ने जवाब दिया हुआ था।

“जरुर।” तृष्णा ने मैसेज लिख कर भेज दिया। 

उसने इच्छा की प्रोफाइल ओपन की और पाया की उसने उसे पहले ही फॉलो कर लिया था।

"आप से तो बात करनी ही पड़ेगी मिस इच्छा? कौन हो तुम? ना जाने क्यों पर तुम मुझे अपनी सी लग रही हो।" सोचते हुए तृष्णा ने फोन की नोटिफिकेशन बंद की और दोबारा फिर कहानी पढ़ने लगी। उसने किताब पूरी करते हुए कहा। “वाकई में बड़ी जबरदस्त किताब है। पर अभी भी कुछ भी साफ साफ नही पता चला। बहुत सारे रहस्य अभी भी बने हुए है। ना जाने इसकी दूसरी सीरीज कब आएगी?” उसने किताब के आखिर में लेखक का लिखा हुआ खत पढ़ते हुए कहा।

वह अपनी जगह पर खड़ी हो गई। उसने किताब को उसकी जगह पर रखा और फिर वहां से सीधा श्रेयाँशी के पास चली गई। “पढ़ ली तुम्हारी कहानी।”

“मैने भी ब्लड ए मर्डर मिस्ट्री पूरी कर दी।” तृष्णा ने जवाब दिया।

“बड़ी जल्दी।” श्रेयाँशी ने तारीफ करते हुए कहा और फिर आगे बोली। “कहानी तो अच्छी है पर...” इतना कहते ही वह चुप हो गई।

“क्या पर..?” तृष्णा ने पूछा।

“पर तुम पर ब्लड वाली कहानी का बहुत ही ज्यादा असर हो गया है तभी तो तुम्हारे लेखन में उसकी झलक मिल रही गई।” श्रेयाँशी ने बताया।

“खुद का तरीका लाओ तृष्णा।” तृष्णा ने खुद से कहा और फिर आगे बोली। “मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि शुरूवात कहां से करूं?”

“कोई बात नही। शुरूवात में ऐसा सभी के साथ होता है।अगर कोई दिक्कत आए तो मुझ से पूछा लेना।” श्रेयाँशी ने समझाते हुए कहा और फिर आगे बोली। “धीरे धीरे आदत पड़ जायेगी। पर कोशिश करना तुम्हारा लिखने का तरीका खुद का हो। वैसे मुझे पूरा भरोसा है कि तुम कर लोगी। तुम्हारे सारे काम यूनिक ही होते है।”

“अब तक कहानी कैसी लगी? मतलब कोई कमी हो तो बता दीजिए?” तृष्णा ने पूछा।

“वो लड़की वहां पर कैसे आई? और वो इतने सारे साल कैसे रह ली? पीरियड्स प्रॉब्लम और भी बहुत सारी परेशानियां होती है वे सब अच्छे से बताना।” श्रेयाँशी ने सुझाव दिया।

“ठीक है। मै हर एक चीज का ध्यान रखूंगी।” तृष्णा ने बात का जवाब दिया और फिर आगे बोली। “ब्लड की अगली सीरीज आ गई?”

“अभी नही आई।” श्रेयाँशी ने बताया और फिर आगे बोली। “पहले अपना नॉवेल पूरा कर लो बाद में कुछ पढ़ना। तुम पर ज्यादा असर पड़ रहा है। कमी तो मै सही कर दूंगी और करवा भी दूंगी।”

“ठीक है दी। अब मै पढ़ लूं।” कहकर तृष्णा वहां से चली गई।



अभय पुलीस स्टेशन में बैठा हुआ कुछ सोच रहा था। तभी उसे किसी की कॉल आई। 

"ठीक है....आता हूं।" कहकर कर उसने कॉल कट कर दी और फिर दुबे को आवाज लगाते हुए बोला। "दूबे! मेरे साथ चलो। कुछ जरूरी काम है।" दुबे के वहां आते ही दोनों वहां से चले गए। 

दोपहर का समय था। सड़क पर सन्नाटा पसरा हुआ था। सुरज सिर के ठीक ऊपर चमक रहा था जो सभी को झुलसा रहा था। तेज धूप की वजह से सड़कों पर मरीचिका (गर्मियों की दोपहर में यात्रियों को सड़क पर कुछ दूरी पर पानी होने का भ्रम हो जाता है। इस भ्रम को मरीचिका या मृगतृष्णा कहते हैं। दोपहर में सड़क अधिक गर्म हो जाती है जिसके कारण धरती के पास हवा की गर्म परतें विरल हो जाती हैं किन्तु ऊपर की परतें ठंडी होने के कारण वे अपेक्षाकृत सघन होती हैं।) होने का आभास हो रहा था। उस सुनसान सड़क पर अपना संतुलन खोते हुए एक बाइक आ रही थी। बाइक सवार अपना संतुलन बनाने की लाख कोशिश कर रहा था बावजूद इसके वह अपना संतुलन खो बैठा और सड़क के पास बने हुए पेड़ से जा कर टकरा गया।

 बाइक सवार का सिर पेड़ में लगने से बाल बाल बच गया। वह खुद को संभालते हुए वहां से उठा और लड़खड़ाते हुए चलने लगा। थोड़ी दूरी तक वह यूंही चलता रहा और फिर अचानक से अपने बालों को नोचते हुए बोला। "कोई बंद करो इस आवाज को। कोई तो बंद करो। यह मुझे पागल किए जा रही है।" उसने जोर जोर से चिल्लाते हुए कहा और फिर घुटनों के बल सड़क पर गिर पड़ा। 

वह पागलों की तरह इधर उधर देखता रहा। तभी अचानक से उसके सिर में जोर से धमाका हुआ और उसके कानों से खून निकलने लगा। बड़ी मुश्किल से हिम्मत करके वह अपना हाथ कान तक ले जाने ही वाला था कि उस से पहले ही उसका शरीर बेजान होकर वह सड़क पर गिर पड़ा। उसके प्राण उसका साथ छोड़ चुके थे। 



"दुबे! जितने भी ये लड़कियों को उठाने वाले गैंग है, उनके बारे में पता लगाओ।" अभय ने चुप्पी का साथ छोड़ते हुए कहा।

"ठीक है सर! मै सबके बारे में पता लगा लूंगा।" दुबे ने जीप चलाते हुए जवाब दिया। तभी उसकी नजर सड़क पर पड़ी हुई लाश पर पड़ी। उसने जीप को वही पर रोक लिया।

“अब किसका खून हो गया?” अभय ने खुद से पूछा।

अभय जीप से नीचे उतर गया। अभय ने अपनी पॉकट से ग्लब्स निकाले और उन्हें पहने लगा। उन्हें पहनते हुए वह लाश के पास पहुंच गया। उसने इधर उधर से लाश को देखा और पाया की उसके कानों से खून निकला हुआ था।

“दुबे पानी लाओ।” अभय ने आवाज लगाते हुए कहा और फिर खुद लाश की छानबीन करने लगा। उसे लाश की पॉकेट में आइडेंटिटी कॉर्ड मिला जो एजे युनिवर्सिटी का था। कॉर्ड पर लड़के का नाम लिखा हुआ था ‘शिवम राणा।’ जो मेडिकल का स्टुडेंट था। 

"एजे युनिवर्सिटी! सिटी की नम्बर वन यूनिवर्सिटी जो खुद में काफी सारे रहस्य समेटे हुए है।" अभय ने आइडेंटिटी कॉर्ड को देखते हुए कहा। दुबे पानी की बॉटल को लेकर वहां पर आ गया। उसने बॉटल से पानी निकाला और लाश का मुंह धोने लगा। मुंह धोने के बाद पता चला कि मरने वाले की उम्र तकरीबन उन्नीस बीस साल थी। 

अभय ने लाश को अच्छे से देख लिया पर उसे ऐसा कोई भी सुराख नही मिला जिस से उसकी मौत के बारे में पता चल सके।

"दुबे! लाश को फॉरेंसिक लैब भेजो। उसके बाद एजे युनिवर्सिटी में जाकर जांच पड़ताल भी करनी है। आज कल वहां से कुछ ज्यादा ही केस आ रहे है।" अभय ने कुछ सोचते हुए कहा। 

"सर! थोड़ी ही देर में एम्बुलेंस यहां पर आ जाएगी।" दुबे ने जवाब दिया। दोनों पेड़ की छांव में खड़े होकर इन्तजार करने लगे। थोड़ी देर बाद वहां पर एम्बुलेंस आ गई। दुबे ने ड्राइवर की मदद से लाश को उठाया और उसे लैब के लिए रवाना कर दिया।

"जीप, मै ले जाऊंगा। तुम ये बाइक ले जाओ। जिस काम के लिए आए थे वो भी तो करना है।" अभय ने अपनी बात कही और फिर आगे बोला। “तुम बाइक लेकर पुलिस स्टेशन चले जाओ।”

“ठीक है।” कहते हुए दुबे ने बाइक उठाई और वहां से चला गया। उसके जाने के बाद अभय भी वहां से चला गया।

★★★

जारी रहेगी...मुझे मालूम है आप सभी समीक्षा कर सकते है, बस एक बार कोशिश तो कीजिए 🤗❤️

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3 Comments

hema mohril

25-Sep-2023 03:25 PM

V nice

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Karan

12-Dec-2021 10:00 PM

Kafi intresting chal rahi h story...

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Are लेखनी में लेखन, इंट्रेस्टिंग कहानी...

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